(अनवर चौहान) नई दिल्ली, नोट-बंदी के बाद देश में हाहाकार मचा है। देश का ग़रीब पाई पाई को तरस रहा है। रातों से लगने वाली बैंक की कतारें इस बात की दलील है कि लोग किस तरह बैहाल हैं। इन लोगों पर नोट-बंदी का क़हर टूटा है। लेकिन दूसरी तरफ एक चौंकाने देने वाले आंकड़े हैं। मोदी ने शायद इन आंकड़ों पर कोई नज़र सानी नहीं की। ऐसी कोई योजना नहीं बनाई कि इन अमीरों से देश के कुछ ग़रीबों का भला हो जाए। भारत के सबसे अमीर एक फीसदी लोगों के पास 58.4 फीसदी संपत्ति है और यह लगातार बढ़ रही है। रेटिंग एजेंसी क्रेडिट सुइस ग्रुप एजी के अनुसार, 2014 में सबसे अमीर एक फीसदी लोगों के पास 49 प्रतिशत था, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 53 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सबसे अमीर दस फीसदी भारतीयों की बात करें तो उनकी संपत्ति का दायरा 2010 के 68.8 प्रतिशत के मुकाबले 2016 में 80.7 फीसदी तक पहुंच गया है। जबकि देश की गरीब 50 फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का महज 2.1 प्रतिशत हिस्सा ही है।एजेंसी का कहना है कि सरकार कोई भी रही हो, अमीर लोगों की संपत्ति लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2000 में सबसे अमीर एक फीसदी की संपत्ति, देश की कुल संपत्ति में महज 36.8 ê#2347;ीसदी थी। पिछले 16 साल में एक तिहाई से ज्यादा बढ़ी है।रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अमीरों और गरीबों की संपत्ति में तुलना करें तो भारत सबसे ज्यादा आर्थिक असमानता वाले देशों में है। चीन में सबसे अमीर एक फीसदी लोगों की दौलत 43.8 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 49.3 प्रतिशत, ब्राजील में 47.9 और दक्षिण अफ्रीका में यह आंकड़ा 41.9 फीसदी है। हालांकि रूस में यह आंकड़ा 74 फीसदी है।
भारतीयों की संपत्ति 0.8 प्रतिशत घटी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में संपत्ति बढ़ जरूर रही है पर यह सबके साथ नहीं हो रहा है। आबादी में 96 प्रतिशत वयस्क लोगों की संपत्ति 10,000 डॉलर(छह लाख 70 हजार रुपये) से कम है। इस वर्ष भारतीयों की घरेलू संपत्तियों में कुल मिला कर 26 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह 3000 अरब डॉलर पर आ गई। रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के हिसाब से भारत की घरेलू संपत्ति 2016 में पिछले साल की तुलना में 0.8 प्रतिशत यानी 26 अरब डॉलर घट कर 3099 अरब डॉलर रही। अमीर और तेजी से अमीर हो रहे
शीर्ष एक फीसदी : संपत्ति
2010 : 40.3 %
2011 : 46.8 %
2012: 48.8 %
2013 :48.7%
2014 : 49%
2015: 53%
2016: 58.4%
शीर्ष दस फीसदी : संपत्ति
2010 : 68.8%
2011 : 72.6%
2012: 73.8%
2013 :73.8%
2014 : 74%
2015: 76.3%
2016: 80.7 %