(अनवर चौहान) नई दिल्ली, नोटबंदी के फैसले के बाद आज देश के 4 लोकसभा सीटों और 8 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं। तमाम सियासी दलों समेत सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी इस चुनावी नतीजों का बड़ी बे-सबरी से इंतज़ार है। इस चुनाव के नतीजे भले देश की तस्वीर को साफ न कर पाऐं पर इतना तय है कि पूत के पैर पालने में ही नज़र आ जाते हैं। यदि मैं साफ तौर से कहूं तो नोट-बंदी का फैसला सही था या ग़लत इसका अंदाज़ा प्रधानमंत्री समेत देश के तमाम लोगों को हो जाएगा।
आज सुबह सात बजे ही मतदान केंद्रों पर भारी कतार लग गई है। उप चुनाव के अलावा तमिलनाडु की दो विधानसभा सीटों अरावकुरिचि और तंजावुर पर भी मतदान जारी है। इसी साल 16 मई को इन सीटों पर मतदान हुआ था लेकिन चुनाव के दौरान मतदाताओं को धन बांटने के आरापों के बाद इन दोनों सीटों पर मतदान रद्द कर दिया गया। इन सभी सीटों के लिए मतगणना 22 नवंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में नोटबंदी बना मुद्दा
पश्चिम बंगाल में कूच बिहार और तमलुक लोकसभा संसदीय सीटों पर और मोंटेश्वर विधानसभा क्षेत्र में वोट डाले जा रहे हैं। सत्तारूढ़
तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर अपने अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। उप चुनाव के प्रचार अभियान के आखिरी चरण में नोटों का चलन बंद होना मुख्य मुद्दा बन गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन उपचुनावों के लिए प्रचार नहीं किया और यह जिम्मेदारी पार्टी के अन्य नेताओं पर छोड़ दी। जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे है उनमें लोकसभा की लखीमपुर (असम), शहडोल (मध्यप्रदेश) और कूचबिहार तथा तमलुक (पश्चिम बंगाल) के अलावा असम, अरूणाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पुदुचेरी में विधानसभा की आठ सीटें है। जिन आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वे हैं बैठालंगसो और हयुलिआंग (सु)- अरूणाचल प्रदेश, नेपानगर (सु)-मध्यप्रदेश, मोंटेस्टवर- (पश्चिम बंगाल), तिरूपराकुन्द्रण (तमिलनाडु), बारजाला और खोवई (त्रिपुरा) तथा नेल्लीतोपे (पुदुचेरी) है।