(अनवर चौहान) नई दिल्ली. लोकसभा में इन्टॉलरेंस के मुद्दे पर भाजपा बेकफुट पर आ गई है। तमाम भाजाई नेता अब अपने आप को सबसे बड़ा धर्मनिर्पेक्ष दल साबित करने में जुटे हैं। मोदी से लेकर रानाथ सिंह के स्वर बदल चुके हैं। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने अपने ख्यालात का इज़हार किया। भाषण के दौरान हंगामा होते ही कांग्रेस, टीएमसी और लेफ्ट ने सदन से वॉकआउट कर दिया। राजनाथ ने कहा कि जहां तक वीके सिंह के बयानों का मामला है तो लोग कहते हैं कि पीएम क्यों नहीं बोलते। क्या जब कभी देश में कोई घटना हुई है तो क्या प्रधानमंत्री ने ही टिप्पणी की है? प्रधानमंत्रीजी ने मुझे जिम्मेदारी दी है। जब कभी कोई वारदात या साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने वाली बात होती है तो मैं खुद कहता हूं और कार्रवाई करता हूं।अब प्रतिपक्ष क्या चाहता है? क्या कहें हम? वीके सिंह ने खुद कहा कि उनकी बात को तोड़मरोड़कर पेश किया गया। हमने भी उनसे बात की। यह सरकार के साथ न्याय नहीं है।  मुलायम ने कहा- विषय पर बोलिए। राजनाथ ने कहा- मैं विषय पर ही बोल रहा हूं। विषय सहिष्णुता है। दादरी पर ही बोलने वाला हूं। मैं बोल रहा हूं। सुनिए। मुलायम ने कहा- ज्यादा कहोगे तो हम सारे नाम कह देंगे। अपने अध्यक्ष (बीजेपी प्रेसिडेंट) को कंट्रोल करिए।  मैं वीके सिंह पर भी बोलूंगा। दादरी पर भी बोलूंगा। अाप सुनने को तैयार नहीं हैं। खड़गेजी आप तो सहिष्णु व्यक्ति हैं। आप इतने इन्टॉलरेंट कैसे हो गए? भगवान राम के पाकिस्तान में जन्म लेने के दावे पर भी देश सहिष्णु था : राजनाथ राजनाथ ने कहा- कुछ लोगों को लगता है कि आज बोलने की कोई आजादी नहीं है। याद दिलाना चाहता हूं कि अभी पिछले महीने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े एक विद्वान अब्दुल कुरैशी ने यह तक कह दिया कि भगवान राम पाकिस्तान में पैदा हुए थे। उन्होंने आघात करने वाली टिप्पणी की लेकिन भारत में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। यह है सहिष्णुता। विद्वान को जो लगा, उसने बोल दिया। लेकिन इससे मान्यता नहीं बदल गई। इन्टॉलरेंस भारत की परंपरा में कहीं नहीं है।
तृणमूल नेता सौगत रॉय ने कहा- राजनाथ जी शिया-सुन्नी, सऊदी अरब की बात कर रहे हैं। लेकिन हिंदुस्तान में वीके सिंह क्यों दलितों के बारे में बयान देते हैं, यह नहीं बता रहे। राजनाथ ने कहा- मैंने सबकी बात सुनी। अब मेरी भी सुनिए। इतनी सहिष्णुता दिखाइए। धैर्य से मेरी बात सुनें। जब कुछ साल पहले कोलकाता से बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को खदेड़ा गया तो किस पार्टी की सरकार थी? इस पर सदन में बीजेपी के सदस्यों ने कहा- मो. सलीम की पार्टी (सीपीएम) की। राजनाथ के बयानों पर मोहम्मद सलीम विरोध जताने लगे। इस पर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा- आपने चर्चा शुरू की है। आपको रिप्लाई सुनना पड़ा। आपने मांग की थी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- हम गृह मंत्रीजी का आदर करते हैं। लेकिन 2015 में क्या घटनाएं हुईं और आपके मंत्री-एमपी-नेता क्या कह रहे हैं,हम उसके बारे में पूछ रहे हैं। आप सऊदी अरब पर जा रहे हैं, अमेरिका पर जा रहे हैं लेकिन हिंदुस्तान की बात नहीं कर रहे। इस पर राजनाथ ने कहा- बोलेंगे, बोलेंगे। हिंदुस्तान पर भी बोलेंगे। लोकसभा में हंगामा तेज हुआ। इससे पहले राज्यसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दिया। मोदी ने राज्यसभा में कहा- देश तू-तू, मैं-मैं से नहीं चलता।
लोकसभा में कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात मॉडल का गुब्बारा फूट गया। इससे पहले, लोकसभा में इन्टॉलरेंस पर डिबेट के दौरान चंडीगढ़ से बीजेपी सांसद किरण खेर ने कहा कि हमारी सरकार आते ही लोगों को इन्टॉलरेंस का इंजेक्शन लग गया है। लोग देश में इन्टॉलरेंस बढ़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन यूपी का उदाहरण देते हुए पूछना चाहती हूं कि वहां की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी क्या यूपी सरकार की नहीं है?
मोदी ने राज्यसभा में क्या कहा?
मोदी ने कहा- बिखरने के लिए बहुत बहाने मिल सकते हैं, जुड़ने का एक बहाना होना चाहिए। बिखरने के बहानों के बीच जुड़ने के अवसर खोजने चाहिए। देश हमारी तरफ देख रहा है। हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं जो हमें निभानी हैं। हमारे बुजुर्गों ने हमें संविधान के रूप में उत्तम मार्गदर्शक दिया है। मोदी ने फिर पंडित नेहरू और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बातों का जिक्र किया। कहा- इस देश के निर्माण में हर किसी की भूमिका रही है। इसलिए यह देश महान है। मोदी ने कहा- तू-तू, मैं-मैं से देश नहीं चलता। हम जैसा आचरण करते हैं, दूसरे भी उसका अनुसरण करते हैं। देश में जैसे समभाव जरूरी है, वैसे ही समाज में ममभाव जरूरी है। देश ऐसा हो जहां समता-ममता दोनों हो। दलित मां से पैदा हुआ बेटा भी मेरा भाई है। जितनी शक्ति मुझे मिली है, उतनी ही उसे भी मिली है। अगर आज किसी पर अत्याचार होता है तो यह हमारे देश अौर समाज पर कलंक है। संविधान सभा को कभी आचार समिति यानी एथिक्स कमेटी बनाने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन बाद में यह कमेटी बनानी पड़ी। हमारे सदस्यों ने अगर छोटी-मोटी हरकत की तो इसी सदन के सदस्यों की कमेटी ने उन पर फैसला किया। हम सभी कोई गलती न कर बैठें, इसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। राहुल ने लोकसभा में और क्या कहा? कलबुर्गी जी, दाभोलकरजी और पनसारेजी की हत्या कर दी गई लेकिन प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा।
उनकी (बीजेपी) सबसे बड़ी कमजोरी है टॉलरेंस। पीएम आर्थिक विकास की बात करते हैं। पर उनके कलीग बॉलीवुड स्टार्स को पाकिस्तान जाने की बात करते हैं। अरुण शौरी जी जो मोदी जी की प्रशंसा करते थे उन्होंने मोदीजी के बारे में दो-तीन चीजें कहीं। आपकी ही आर्मी ने आप पर आक्रमण कर दिया। शौरी जी के बच्चे के बारे में क्या कहा? जिसे सेरिबल पॉलिसी है, उसे भी नहीं छोड़ा। शौरी ने कहा- उन्हें ट्विटर पर गाली दी। पीएम भी उन्हें फ़ॉलो करते हैं। लेकिन पीएम ने कुछ नहीं कहा।
बेस्ट राइटर भारत के पास हैं। वे साइन ऑफ प्रोटेस्ट, लेकिन सरकार उनसे बातचीत तक करने को तैयार नहीं है। जेटली उन्हें बनवाटी कह रहे हैं। यह आपकी मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की तरह ड्रीम नहीं है। वे उन लाखों की तरह डिस्टर्ब हैं इसिलए वे ऐसा कह रहे हैं। भारत सफल रहा है क्योंकि हमने बात करने का मौका दिया। एक मुस्लिम शख्स की हत्या कर दी जाती है। उस अखलाक का बेटा एयरफोर्स में है फिर भी उसे सुरक्षा नहीं दी गई। पीएम चुप रहे। हरियाणा में दो दलित बच्चों की हत्या के बाद वीके सिंह ने उनकी तुलना कुत्तों से कर दी लेकिन वे अभी भी मंत्री बने हुए हैं। पीएम ने कोई एक्शन नहीं लिया। गांधी जी, हमारे राष्ट्रपिता को नाथु राम गोडसे ने सीने में तीन गोलियां मारी थी। मैं देखूंगा कि मोदी जी साक्षी महाराज (बीजेपी सांसद) पर कब बोलेंगे। राहुल ने आरोप लगाया था कि साक्षी ने गोडसे को शहीद बताया था। इसके तुरंत बाद ने साक्षी महाराज ने राहुल के इस बयान का विरोध किया। लोकसभा में और क्या हुआ? किरण खेर ने कहा कि 65 साल से ये देश करप्शन, गरीबी, रोटी-कपड़ा-मकान जैसे मुद्दों से जूझ रहा है। हमें नहीं लगता कि हमारी सरकार इन्टॉलरेंट है। हमारी सरकार के आने के बाद लोगों को इन्टॉलरेंस का इंजेक्शन लगने लगा है। बीजेपी सांसद ने आरोप लगाया कि मुंबई में पहले भी कई घटनाएं होती रही हैं। मुंबई में एक बार मेरे पति अनुपम खेर के घर पर एनसीपी के लोगों ने पत्थर फेंके थे। किरण ने कहा कि राहुल गांधी ने बेंगलुरु के कार्मल कॉलेज में बहुत अच्छी स्पीच दी थी। राहुल ने कहा था कि सब लोग मिलकर प्यार से काम करें। मैं यही कहना चाहती हूं कि आप हमसे नफरत न करें, न हमें आपको नफरत करने पर मजबूर करें।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव से पहले मोदी का अलग रूप देखा था। पटना के गांधी मैदान पर जब ब्लास्ट हुआ तो उन्होंने लोगों से संयम की अपील की। लेकिन पीएम बनने के बाद उन्हें क्या हो गया है? सब को साथ लेकर चलने वाली उनकी नीति कहां गई? ने सांसदों से कहा- भड़काऊ बयान न दें, कॉन्ट्रोवर्सी से बचें मंगलवार को संसद में कामकाज शुरू होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की मीटिंग हुई। इसमें पार्टी ने अपने सांसदों से कहा कि वे भड़काऊ बयान देने और कंट्रोवर्सी में आने से बचें। क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा किया तो विरोधी इसका फायदा उठा लेंगे। पीएम मोदी के विकास के एजेंडे को नुकसान पहुंचेगा। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने सांसदों को यह नसीहत दी। बता दें कि सोमवार को लोकसभा में सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम की गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बारे में एक टिप्पणी पर जमकर हंगामा हुआ था। वहीं, राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कुमारी सैलजा के एक बयान पर हंगामा हुआ था। बीजेपी ने की मीटिंग मंगलवार को संसद शुरू होने के पहले बीजेपी के संसदीय दल की मीटिंग में बिहार की चुनावी हार और इन्टॉलरेंस जैसे मुद्दे पर चर्चा हुई।
मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इन्टॉलरेंस को लेकर देश में जो माहौल बनाया जा रहा है, उसमें कई बुद्धिजीवी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो 2014 में जब आम चुनाव हो रहा था, तब मोदीजी का विरोध कर रहे थे। नकवी ने बताया कि मीटिंग में संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकेया नायडू ने कहा कि हमें संभलकर चलना चाहिए। आज देश में बेहतर काम हो रहा है। हर क्षेत्र में विकास दिख रहा है। अगर कोई छोटी चूक होती है तो विरोधी ताकतें मुश्किल पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमें उकसाने वाले बयान नहीं देने चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से विरोधी फायदा उठा लेंगे। मोदीजी के विकास के एजेंडे को नुकसान पहुंचेगा। लोकसभा में किस बात पर हुआ था हंगामा?
सोमवार को लोकसभा में इन्टॉलरेंस पर चर्चा के दौरान सीपीएम एमपी मो. सलीम ने राजनाथ सिंह पर आरोप लगाया, "उन्होंने 800 साल बाद देश को हिंदू शासक मिलने की बात कही थी।" इस पर राजनाथ ने कहा था, "आज मैं जितना आहत हुआ हूं, उतना अपने पॉलिटिकल करियर में पहले कभी नहीं हुआ। मैंने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया। ऐसा बयान देने वाले को गृह मंत्री बने रहने का हक नहीं है।"
इस मुद्दे पर जोरदार हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित होती रही। स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सलीम के बयान को लोकसभा की कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटाने के आदेश दिए।सलीम ने आउटलुक मैगजीन की 16 नवंबर, 2014 की एक कॉपी का हवाला देते हुए आरोप लगाया था। बाद में मैगजीन ने माफी मांग ली। कहा कि वीएचपी नेता अशोक सिंघल की जगह गलती से राजनाथ का नाम छप गया था। राज्यसभा में क्या हुआ था? कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा सोमवार को राज्यसभा में भावुक हो गईं। विंटर सेशन के दौरान राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान यह वाकया हुआ। सैलजा ने कहा, "गुजरात का एक मॉडल यह भी देखिए। ...पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं हुआ, लेकिन गुजरात के द्वारका मंदिर में मुझसे जात पूछी गई।" बीजेपी नेता और केंद्र सरकार में मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सैलजा के इस बयान पर कहा, "यह उनकी पीड़ा है, मैं समझता हूं। मुझसे कभी जाति नहीं पूछी गई। मैं दो-तीन बार गया हूं वहां। इसको लेकर गुजरात को ब्लेम करना सही नहीं है।" क्या है इन्टॉलरेंस का मुद्दा? यूपी के दादरी में गोमांस रखने के शक में एक शख्स की हत्या हुई। इससे पहले कन्नड़ लेखक कलबुर्गी का मर्डर हुआ। इसी के बाद इन्टॉलरेंस का मुद्दा भड़का। अवॉर्ड वापसी की शुरुआत हुई। कई लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों ने देश में बढ़ते कथित इन्टॉलरेंस के माहौल के विरोध में पुरस्कार लौटा दिए। आमिर खान, शाहरुख खान, एआर रहमान और अरुंधति रॉय जैसी शख्सियतों ने इस मुद्दे पर बयान दिए जो विवादों में रहे।
क्यों हो रही है संविधान पर चर्चा? 66 साल पहले 26 नवंबर को हमारे देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था, जो संविधान सभा से पास होने के बाद 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है। विंटर सेशन शुरू होते ही दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा रखी गई है। लोकसभा में चर्चा शुक्रवार को खत्म हो गई थी। लोकसभा में 8 और राज्यसभा में अटके हैं 11 बिल मानसून सेशन विवाद और हंगामे के चलते पूरी तरह धुल गया था। इस वजह से पार्लियामेंट का कोई कामकाज नहीं हो सका। इसके चलते कुल आठ बिल लोकसभा में और 11 राज्यसभा में अटके हैं। जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और जमीन बिल तो संसद की समितियों के पास ही फंसे हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार विवादित लैंड बिल को छोड़कर बाकी सभी बिलों को पास कराने की कोशिश में है। क्या है जीएसटी?
मोदी सरकार प्रपोज्ड गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स को 1947 के बाद का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बता रही है। यह अलग-अलग टैक्स खत्म कर उनकी जगह एक ही टैक्स सिस्टम लागू करने के लिए है।जीएसटी लागू होते ही सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्टरॉई, वैट जैसे अलग-अलग सेंट्रल और लोकल टैक्स खत्म हो जाएंगे। इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा।