अज़हर चौहान

आमतौर पर असली और नकली की पहचान हो सकती है क्योंकि दोनों के बीच कई बिंदुओं पर अंतर पकड़ा जा सकता है लेकिन हरियाणा के चरखी दादरी के गांव में चल रहीं उन फैक्ट्रियों ने हैरान ही कर दिया। हुबहु असली जैसे नकली सिक्के बन रहे थे। असली सिक्के पर जिस तरह अशोक का चिन्ह होता है। सत्यमेव जयते लिखा होने के साथ साथ रुपये का चिन्ह भी होता है। वहां फैक्टरी में यह सभी मौजूद थे। असली और नकली के बीच इतना कम अंतर और ऐसी सफाई पहली कभी नहीं देखी। सिक्के की चमक, आकार, वजन, छूने पर एहसास सबकुछ असली जैसा ही था।
यह कहना है दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का। बीते शनिवार को दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने चरखी दादरी स्थित इमलोटा गांव में नकली सिक्के बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। इस दौरान पुलिस को 674 किलोग्राम के अधूरे नकली सिक्के बरामद हुए जिनकी कीमत करीब आठ लाख रुपये है। इस कार्रवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को भी काफी हैरानी हुई। इनका कहना है कि असली और नकली के बीच पहचान कर पाना उनके लिए काफी मुश्किल हो रहा था।
उन्होंने बताया कि फैक्टरी में बिहार के मजदूर काम कर रहे थे। उन्हें एक सिक्का बनाने पर 25 पैसे दिए जा रहे थे और एक मजदूर दिन भर में 1500 से दो हजार नकली सिक्के बना रहा था। ऐसी चार फैक्टरियां चल रही थीं। इन सभी का मास्टरमाइंड नरेश कुमार था जो कच्चा माल खुद ही गुप्त तरीके से लाता था।
अधिकारी ने बताया कि जिस तरह एक असली सिक्के के अंदर का हिस्सा सफेद होता है। वैसे हिस्से को वे स्टील से बना रहे थे। उनकी भाषा में इसे टिक्की कहते हैं। जबकि बाहरी भाग पीतल से बना रहे थे जिसे वॉशर कहते हैं। भीतरी हिस्से को सही रूप देने के लिए ये हल्की-हल्की चोट हथौड़े से मारते और फिर अशोक चिन्ह, रुपये का चिन्ह, नंबर इत्यादि को हाइड्रोलिक मशीन के जरिए चस्पा करते थे। इन सबके बाद जब एक सिक्का तैयार होता तो उसे लकड़ी के बुरादे में पहले कुछ समय के लिए रखते और फिर उसे घिसते। ऐसा करने से सिक्के पर चमक आती और वह एकदम असली जैसा दिखाई देता। फिर उसे पॉली बैग में रख पैक करते थे। एक बैग में 100 सिक्के आ रहे थे। खेप को दिखाने के लिए बैच नंबर, लॉट नंबर, तारीख आदि वाले इंडिया मिंट के नकली स्टिकर भी चिपकाए गए थे।
बार बार पकड़ती है पुलिस, फिर बनाता है नकली सिक्के
दिल्ली पुलिस के अनुसार नकली सिक्के बनाने वाला मास्टरमाइंड नरेश कुमार इससे पहले भी कई बार पकड़ा जा चुका है। दिल्ली पुलिस ने पहले उसे 2016 में बवाना इलाके में ऐसी ही एक फैक्टरी चलाने के अपराध में पकड़ा था। इसके बाद हरियाणा पुलिस भी दो-दो बार नरेश कुमार को नकली सिक्के बनाने के कारण पकड़ चुकी है। मौजूदा समय में भी नरेश जमानत पर बाहर आया हुआ था और पिछले डेढ़ महीने से चार अलग अलग फैक्ट्रियों में नकली सिक्के बनवा रहा था।

अब तक 10 लाख के नकली सिक्के बनाए
पुलिस के अनुसार फैक्टरी से 10 रुपये के 10,112 नकली सिक्के बरामद किए गए। अब तक 10 लाख रुपये के नकली सिक्के यहां बन चुके हैं। करीब एक हजार वर्ग गज पर बने एक अलग कमरे में नकली सिक्के बनाए जा रहे थे। पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाने में लगी है। फैक्ट्री में अधिकांश 20, 10 और 5 रुपये के नकली सिक्के बनाए जा रहे थे।
फैक्टरी का पर्दाफाश कर पांच आरोपियों को किया गिरफ्तार
स्पेशल सेल ने नकली फैक्टरी का पर्दाफाश कर बहादुरगढ़ निवासी 48 वर्षीय नरेश कुमार को गिरफ्तार किया है। वह नकली सिक्के बनाने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड है। इसके अलावा बिहार के मधुबनी बिहार निवासी संतोष कुमार मंडल (34), धर्मेन्द्र कुमार शर्मा (19), धर्मेन्द्र महतो (34) और श्रवण कुमार शर्मा (30) को गिरफ्तार किया है। पुलिस को सूचना थी कि अवैध तरीके से नकली सिक्के बनाए जा रहे हैं।
पुलिस को झांसा दे रहा था नरेश
22 अप्रैल को पुलिस ने टिकरी बॉर्डर से झड़ौदा कलां इलाके में नरेश कुमार को गिरफ्तार किया। उसके पास नकली सिक्के भी बरामद हुए। पूछताछ में नरेश काफी समय तक पुलिस को झांसा देता रहा लेकिन बाद में उसने चार फैक्टरी का खुलासा किया।
पुलिस ने यह सामान किया बरामद
मुख्य आरोपी नरेश के पास से दस रुपए के 10,112 नकली सिक्के, फैक्टरी से बीस पैकेट (प्रति पैकेट में चार हजार सिक्के), 11,500 खुले सिक्के, इन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाली प्रेशर मशीन व इलेक्ट्रिक मोटर, डाई व अन्य सामान बरामद किया है। इसके अलावा 212 किलो डिस्क या टिक्की, 70 किलो अधूरे बने सिक्के, पैकेजिंग मैटेरियल, पॉलीथीन बैग आदि सामान भारी मात्रा में पुलिस को मिला है।