इंद्र वशिष्ठ

लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में कोरोना पाज़िटिव मरीजों के इलाज में गंभीर जानलेवा लापरवाही का सिलसिला थम नहीं रहा है।  बल्लीमारान निवासी कोरोना पाज़िटिव रानी ख़ान (33) लोकनायक अस्पताल में भर्ती है।  पहले से ही किडनी की बीमारी से भी पीड़ित रानी का डायलिसिस होना है।
रानी का रोना नहीं सुन रहा कोई-
पिछले कई दिनों से वह अस्पताल में हैं लेकिन डाक्टरों की लापरवाही के कारण उसकी जान को खतरा पैदा हो गया है। रानी बार-बार गुहार लगा रही हैं लेकिन उसका डायलिसिस नहीं किया जा रहा। डायलिसिस न होने के कारण उसका पूरा बदन जाम हो गया है। ना हाथ उठाया जा रहा और ना ही पैर उठाया जा रहा।
अम्मी मुझे बचा लो -
रानी ख़ान ने रोते हुए अपनी अम्मी और बहन से गुहार लगाई है कि मुझे बचा लो मैं यहां नहीं रहना चाहती। यहां पर बिल्कुल भी ध्यान दिया जा रहा है। मैं डायलिसिस की कह रही हूं लेकिन कोई नहीं सुनता। मुझे नहीं लगता कि मैं सही होकर भी यहां से आऊंगी क्योंकि यहां कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है।
कब तक हिम्मत रखूं-
रानी कहती हैं कि मैं कब तक हिम्मत रखूं मेरी तबीयत बहुत ख़राब है। अस्पताल वाले कह रहे हैं कि मशीन ठीक नहीं है। मैंने उनसे कहा कि मुझे प्राइवेट अस्पताल में डायलिसिस के लिए जाने दो पर कोई नहीं सुनता।

मां- बेटी बिलख रही-
रानी, उसकी अम्मी और बहन की फ़ोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग सुन कर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल/ पिघल जाएगा है।
रानी ने बिलख बिलख कर रोते हुए अपनी अम्मी और बहन को अपनी असहनीय पीड़ा और अस्पताल के अमानवीय व्यवहार को बयान किया। यह सुनकर कर रानी की अम्मी और बहन भी फूट फूट कर रोते हुए  रानी को हिम्मत रखने और अल्लाह से दुआ करने की कह कर ढांढस बंधाने की कोशिश करती हैं। रानी की बात सुनकर परिवार वाले हैरान हैं कि इतने बड़े अस्पताल में क्या डायलिसिस के लिए केवल एक ही मशीन है?
इनकी बातचीत सुन कर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को सरकार और डॉक्टरों पर गुस्सा आ जाएगा।
रानी की कहानी कह रही देश की कहानी -
रानी की कहानी देश की राजधानी में महामारी और गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी के इलाज में बरती जा रही गंभीर लापरवाही को तो उजागर करती है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोल रही है।

मुख्य सचिव ने मांगी रिपोर्ट -

इस पत्रकार ने 26 अप्रैल को सुबह रानी के मामले को टि्वटर पर उजागर किया। दिल्ली के उप-राज्यपाल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री को भी टैग किया। लेकिन रविवार को भी रानी की डायलिसिस नहीं की गई।
तब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव की जानकारी में यह मामला लाया गया। 
मुख्य सचिव विजय देव ने स्वास्थ्य सचिव से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है और रानी का डायलिसिस कराने के लिए कहा है।
अब देखना है कि इस पर अमल कब होगा।
इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए तभी लोगों की जान से खिलवाड़ करने के मामले रुकेंगे।

थम नहीं रहा आपराधिक लापरवाही का सिलसिला-
 
 एक सप्ताह पहले ही कोरोना पाज़िटिव जहांगीर पुरी के अरविंद गुप्ता के मामले में भी लोकनायक अस्पताल में आपराधिक लापरवाही बरतने का मामला सामने आया था। डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन के मरीज अरविंद को भूखा रखने और डॉक्टरों द्वारा ना देखे जाने को अरविंद गुप्ता के परिवार ने उजागर किया था। अरविंद गुप्ता की जान बचाने के लिए उनकी पत्नी और बेटी ने वीडियो बना कर वायरल किया तब जाकर अरविंद गुप्ता की सुध ली गई।

जान से खिलवाड़ अपराधिक लापरवाही-
हैरानी की बात है मरीज़ की जान से खिलवाड़  वह डॉक्टर कर रहे हैं जो जानते हैं कि डायबिटीज के मरीज को भूखा रखने और किडनी के मरीज की डायलिसिस न होने से मौत भी हो सकती हैं।
डॉक्टर यह बात भी अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसा करना उनके पेशे के धर्म के खिलाफ तो है ही। इसके साथ ही ऐसा अमानवीय संवेदनहीन व्यवहार अपराध की श्रेणी में भी आता है। इलाज न करना या इलाज में लापरवाही बरतना ऐसा करने वाले डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है।

जो आवाज नहीं उठा सकते उनका क्या होगा-
अरविंद गुप्ता और रानी के मामले तो उनके परिजनों ने सोशल मीडिया पर उजागर कर दिए। लेकिन उन बेचारों के हालात का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना नहीं जानते। या इस डर से भी आवाज नहीं उठाते कि आवाज उठाई तो बौखला कर सरकार और अस्पताल प्रशासन परेशान करेगा।

सरकार लोगों में भरोसा कायम करें-
 सवाल यह उठता है कि जब सरकार कोरोना पाज़िटिव को इलाज के लिए भर्ती करती है तो फिर ऐसी लापरवाही के लिए जिम्मेदार भी तो सरकार ही होगी।
ऐसे मामले सरकार और अस्पताल पर से लोगों का भरोसा ख़त्म कर देते हैं। 

 कोरोना पाज़िटिव मरीज जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से भी पीड़ित हैं उसके लिए तो सरकार ओर डाक्टरों को विशेष ध्यान देना चाहिए। लेकिन इन दोनों मामलों से तो पता चलता है कि बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
सरकार को कोरोना पाज़िटिव मरीज और उसके परिजनों में यह भरोसा पैदा करना चाहिए कि इलाज़ और देखभाल में बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरती जाएगी। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए तभी लापरवाही बरतने पर अंकुश लग सकेगा।

क्वारंटीन सेंटर में नियमों का उल्लघंन-
मंडौली क्वारंटीन सेंटर में महिला और पुरुष को एक ही कमरे में रखा गया।  पलंग की बजाए जमीन पर बिस्तर लगाए गए हैं। यह मामला इस पत्रकार द्वारा उजागर किया गया।  मुख्य सचिव विजय देव ने यह मामला उजागर होने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ,क्वारंटीन सेंटर के प्रशासन को तय नियमों का पालन सख्ती से करने के आदेश दिए।

सही ख़बर को ग़लत बताने वाले डीएम/ एसडीएम-
दूसरी ओर दक्षिण-पश्चिम जिला के डीएम/ डीसी ने टि्वट कर इस खबर की निंदा कर दी। रोहिणी के एसडीएम ने खबर को ही निराधार बताया।
एक ओर मुख्य सचिव खबर की गंभीरता समझ कर कमियों को दूर करने और नियमों का पालन सख्ती से करने के आदेश देते हैं दूसरी ओर ऐसे  अधिकारी है जो बिना सच्चाई जाने बिना वजह टि्वट कर देते हैं।
 उप-राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सही ख़बर को ग़लत साबित करने की कुचेष्टा करने वाले ऐसे अफसर भरोसे के लायक नहीं हो सकते। ऐसे अफसर उप राज्यपाल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी गुमराह कर सकते हैं। ऐसे अफसरों के कारण ही व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाता है।
ख़बर को ग़लत साबित करने वाला  कोई तथ्य दिए बिना इनके ऐसे बयान बिल्कुल नेताओं जैसे ही लगते हैं।