पटना: बिहार की राजनीति में बुधवार को बहुत कुछ हुआ. लगा जैसे राजनीतिक स्क्रिप्ट सलीम जावेद की पटकथा से प्रभावित होकर लिखा जा रहा था. बुधवार को  तेजस्वी यादव ने एक विधायक जीतनराम मांझी को उनकी पार्टी के साथ महागठबंधन में शामिल कराया, तो नीतीश कुमार ने इसका जवाब बिहार विधान परिषद में कांग्रेस के 6 में से 4 विधान परिषद सदस्य को अपनी पार्टी में शामिल कर दिया. इसमें बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी भी शामिल थे.
सबसे पहले बुधवार सुबह तेजस्वी यादव पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के घर पहुंचे और उन्होंने अपने राजनीतिक पैकेज को सुनकर अपनी सहमति दी और एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी. नीतीश कुमार भांप गये कि गुरुवार सुबह अखबारों में यह खबर प्रमुखता से छपेगी, इसलिए उन्होंने इसके जवाब में पार्टी में शामिल होने के कतार में खड़े चौधरी समेत तीन अन्य सदस्यों को तुरंत विधान परिषद के कार्यकारी सभापति को लिखकर सूचित करने के लिए कहा. जहां मांझी और तेजस्वी ने शाम के आठ बजे संवाददाता सम्मेलन किया. वहीं,  चौधरी ने साढ़े आठ बजे संवाददाता सम्मेलन किया. इस दौरान मांझी ने संवाददाता सम्मेलन में भाजपा और नीतीश कुमार की जामकर आलोचना की. वहीं, अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांधे. मांझी ने कहा कि भाजपा के कारण उनकी सरकार गयी और विधानसभा चुनाव में सोलह उम्मीदवार भाजपा के बागी उम्मीदवार के कारण हारे. वहीं, अशोक चौधरी के अनुसार, नीतीश, श्रीकृष्णा सिन्हा के बाद सबसे अच्छे मुख्यमंत्री हैं.
हालांकि राजद का कहना है कि मांझी का लाभ उनके गठबंधन को होगा, लेकिन चौधरी का कोई खास लाभ नीतीश को नहीं मिलेगा. वहीं, जनता दल यू का दावा है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम से साफ़ है कि ज़ोड़-तोड़ के खेल में फिलहाल चाचा अपने भतीजे पर भारी हैं.