नई दिल्ली. राज्यसभा में बुधवार को सत्ता पक्ष और अपोजिशन के बीच स्थगन प्रस्ताव को लेकर तीखी बहस हुई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्पीच पर भी हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। तीन अरुण जेटली ने कहा कि पब्लिसिटी के लिए स्थगन प्रस्ताव का गलत इस्तेमाल किया रहा है। इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दरकिनार करने का काम कर रही है। राष्ट्रपति ने अपनी स्पीच में दीनदयाल उपाध्याय की तुलना महात्मा गांधी से की।

बता दें कि रामनाथ कोविंद ने अपनी स्पीच में महात्मा गांधी, दीनदयाल उपाध्याय, राजेंद्र प्रसाद, राधाकृष्णन, एपीजे कलाम और प्रणब मुखर्जी का जिक्र किया था। ऐसे गरमाया मामला...न्यूज एजेंसी के मुताबिक राज्यसभा में मामला तब गरमाया जब उपसभापति पीजे कुरियन ने कांग्रेस के आनंद शर्मा को अपनी बात नियम 267 के अंतर्गत रखने के लिए कहा।  जेटली ने कहा, "हम देख रहे हैं कि मामलों को नियम 267 के तहत नहीं लाया जाता। इसका गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। शून्यकाल का इस्तेमाल टीवी कैमरों पर फायदा पाने के लिए नहीं किया जा सकता। शर्माजी के बयान को कार्यवाही से हटा देना चाहिए। अगर कोई मेंबर समझौता ब्लास्ट का मामला लाना चाहता है, तो उसकी अनुमति देनी चाहिए।"जेटली ने ये भी कहा कि कुछ मेंबर्स ने शून्यकाल में नोटिस दिए थे। उपसभापति को उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की बात पर सदन में चर्चा नहीं होनी चाहिए। विपक्ष ने लगाए ये आरोप===गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार गांधी-नेहरू जैसे नेताओं का अपमान करने की कोशिश करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी। जिन लोगों की शताब्दी मनाई जा रही है, उनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा। सरकार अपने आप से ही फैसला से रही है। कुरियन ने कहा कि नियम 267 के तहत सभी नोटिस खारिज किए जाते हैं। मुझे अधिकार है किसकी बात को सुना जाए।  कांग्रेस मेंबर्स ने लगाए नारे कांग्रेस के मेंबर्स ने वेल में आकर नारे लगाए और 12 बजे तक सदन को स्थगित करने की मांग की। प्रश्नकाल के दौरान अपोजिशन मेंबर्स ने जेटली के स्थगन प्रस्ताव के गलत इस्तेमाल वाले बयान को कार्यवाही से हटाने को कहा।


क्या बोले थे कोविंद?====14वें राष्ट्रपति कोविंद ने मंगलवार को शपथ ग्रहण के बाद पहली स्पीच में बताया कि राष्ट्र निर्माता कौन कहलाता है। उन्होंने 8 नेताओं- महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सरदार पटेल, भीमराव अंबेडकर, दीनदयाल उपाध्याय, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी का नाम लिया।राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "आज पूरे विश्व में भारत के दृष्टिकोण का महत्व है। विश्व समुदाय हमारी तरफ देख रहा है। हम तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था है। हमें समान मूल्यों वाले अवसर का निर्माण करना होगा। ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी।"  "संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल तत्वों का पालन किया जाता है। मैं भी यही करूंगा। 125 करोड़ नागरिकों ने जो विश्वास जताया, उस पर खरा उतरने का वचन देता हूं। मैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्ण, डॉ. कलाम और प्रणब मुखर्जी जिन्हें हम प्रणब दा कहते हैं, उनके पदचिह्नों पर चलने जा रहा हूं।" कोविंद ने कहा, "महात्मा गांधीजी ने हमें मार्ग दिखाया। सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया। वे राजनीतिक स्वतंत्रता से संतुष्ट नहीं थे। वे करोड़ों लोगों की आर्थिक स्वतंत्रता का लक्ष्य चाहते थे।"