सानिया मिर्ज़ा को फिर एक बार देना होगा देश-भक्ति का सबूत। आज से तीन साल पहले की बात है भारत की एक मुस्लिम महिला खिलाड़ी टीवी पर रो रही थी. उस महिला ने कई प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में देश का नाम रौशन किया, कई मेडल जीते. पोडियम पर चढ़ते समय भारत का राष्ट्रगान बजते उसका सिर फ़ख़्र से ऊँचा हो जाता है. लेकिन उस खिलाड़ी को टीवी पर रोते देखना निराशाजनक था, हताशा वाला क्षण था. उसका नाम सानिया मिर्ज़ा है और भारतीय टेनिस की स्टार हैं. जिन्होंने ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं में कई बार ख़िताब जीते हैं. दुनिया की कई नामी-गिरामी खिलाड़ियों के साथ उन्होंने टेनिस की दुनिया को बेहतरीन क्षण दिए हैं.


सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग पर दिल्ली की नाज़िया ने खुलकर बात रखी. लेकिन उसका रो-रोकर ये कहना कि उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने को क्यों कहा जाता है. दरअसल जब उन्हें तेलंगाना का ब्रैंड एम्बैसडर बनाया गया, तो भाजपा के एक नेता ने सवाल उठाते हुए कहा था कि सानिया तो यहाँ की हैं नहीं वो पाकिस्तान की बहू हैं. भारत की एक मुस्लिम महिला खिलाड़ी होने के साथ-साथ सानिया ने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी की है. और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रताप के बीच ऐसी स्थिति बार-बार अपनी निष्ठा साबित करने को कहती है और बेहूदा सवालों की बौछार करती है. जब-जब भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मैच होता है. सानिया से ऐसे सवालों की झड़ी लग जाती है. अब एक बार फिर चैम्पियंस ट्रॉफ़ी क्रिकेट के फ़ाइनल में रविवार को भारत और पाकिस्तान की टीम को भिड़ना है.



मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा भरोसा है कि अगले दो दिनों में दोनों मुल्को की मीडिया टेलीविज़न और सोशल मीडिया पर युद्ध की स्थिति पैदा कर देगी और ट्रोल करने वाले देशभक्त सानिया मिर्ज़ा जैसे स्टार्स से ये पूछेंगे कि आप किसका समर्थन करेंगी. आग ही आग जब से भारत ने बांग्लादेश को सेमी फ़ाइनल में मात दी है. बाप-बेटे, पोता और दादा-परदादा के शब्दवाण गूँज रहे हैं. कोई टाइगर है, कोई कुत्ता है, कोई भेड़ है और कोई बकरी है. और हम सभी इस प्रायोजित युद्ध का हिस्सा हो गए हैं. अजीब सी स्थिति तब हो जाती है कि वीरेंदर सहवाग जैसा क्रिकेटर और ऋषि कपूर जैसा अभिनेता इस युद्ध का हिस्सा ही नहीं बनता, बल्कि उसमें आग लगाता है, फिर उस आग में इधर और उधर के लोग कूद पड़ते हैं. आग की लौ तेज़ होती है, उसमें रिश्ते जलते हैं, एक ख़ूबसूरत खेल की आहुति दे दी जाती है और सानिया जैसी आइकन की निष्ठा को स्वाहा करने की कोशिश होती है.


ये स्थितियाँ क्या देती हैं, नहीं पता. लेकिन बहुत कुछ आपसे छीन लेती हैं. सानिया मिर्ज़ा के खेल के सफ़र को मैंने उस समय से देखा है, जब वो गर्ल्स टेनिस खेलती थीं. विंबलडन में किसी कोने में अकेले खड़े होकर बाक़ी खिलाड़ियों को ग़ौर से देखते, उनसे सीखते सानिया यहाँ तक पहुँचीं हैं. सानिया ने भारत को ऐसे कई मौक़े दिए हैं, जिस पर पूरा भारत झूमा है. भावनाओं के आवेग में आंखें भींगी है. स्टेडियम से लेकर टेलीविज़न के सामने तक तालियाँ पीट-पीटकर हम सबने अपनी हथेलियों को लाल किया है. इन सबके बावजूद सानिया की निष्ठा फिर सवालों के घेरे में है. भारत के चैम्पियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में पहुँचने के बाद सानिया ने मुंबई सिटी एफ़सी के सीईओ इंद्रनील दास के ट्वीट को ट्विटर पर शेयर किया.
इस ट्वीट में इंद्रनील ने लिखा था- मुझे उम्मीद है कि हम सभी ये ध्यान रखेंगे कि रविवार को होने वाले मैच सिर्फ़ एक गेम होगा. कोई युद्ध नहीं, ज़िंदगी और मौत नहीं. एक महत्वपूर्ण गेम लेकिन सिर्फ़ एक गेम. सानिया के इस ट्वीट को शेयर करने के साथ ही लोगों ने वही पुराना राग दोहराना शुरू कर दिया. कई लोगों ने अपने कमेंट में सानिया से ये पूछा है कि रविवार को फ़ाइनल मैच में वे किसके साथ हैं- पति के साथ या देश के साथ या फिर पाकिस्तान के साथ. एक ने लिखा है कि पाकिस्तान के साथ कोई रिश्ता रखने वाला गद्दार है. तो दूसरे ने सानिया और सानिया का समर्थन करने वाले को शेम-शेम कहा है. हालांकि कुछ लोगों ने सानिया का भी समर्थन किया है, लेकिन वो कम है. सोशल मीडिया पर ज़्यादातर मामलों में ऐसा ही होता है. भक्ति की बयार में कई बार कायदे की बात करना भी गुनाह होता है.
सोचता हूँ कि अपने ही देश के लोगों की इन प्रतिक्रियाओं से सानिया पर क्या गुज़रती होगी. सानिया एक स्टार और सेलिब्रिटी होने के साथ-साथ एक महिला भी हैं. ऐसी स्थितियाँ उन्हें कुछ ज़्यादा ही कचोटती होंगी. तीन साल पहले उन्होंने कहा था- मेरे साथ ये सब कुछ इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं एक महिला हूं या मैंने किसी अन्य देश के आदमी से शादी की?  सानिया जैसी टेनिस स्टार का ये सोचना ही एक भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. दुनिया बदली, समय बदला और हम ग्लोबल विलेज में रहने लगे. लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट युद्ध की चर्चा नहीं बदली. इंद्रनील ने क्या ग़लत कहा कि क्रिकेट सिर्फ़ एक गेम है. युद्ध नहीं. ये सच है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैच में भावनाएँ उबाल पर रहती हैं. लेकिन इन भावनाओं को क्रिकेट और एक खेल तक भी तो सीमित रखा जा सकता है. सानिया ने बार-बार कहा है- मैंने शोएब मलिक से शादी की, जो पाकिस्तान से हैं. लेकिन मैं एक भारतीय हूं और आखिरी सांस तक भारतीय ही रहूंगी. लेकिन अगर एक बार फिर आपने सानिया जैसी खिलाड़ी को रुलाने की ठान ली है, तो हम शर्मिंदा ही हो सकते हैं.