इलाहाबाद: गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद जेल से बड़ा पुराना रिश्ता है। फिलहाल इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने बसपा नेता की हत्या के मामले में मिली ज़मानत रद्द कर दी है। बसपा विधायक राजू पाल की एक दशक पहले की गई हत्या के मामले में मिली ज़मानत रद्द की गई है। न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने राजू पाल की पत्नी पूजा पाल की याचिका पर यह आदेश पारित किया. पूजा पाल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि जमानत पर जेल से बाहर रहते हुए  अतीक ने इस मामले में कई गवाहों को धमकी देकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी. अहमद, राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं और उन्हें अप्रैल, 2005 में जमानत दी गई थी.  उल्लेखनीय है कि राजू पाल की 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अदालत  ने पूजा पाल की याचिका पर 29 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.


अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को हराकर इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक बनने के महज तीन महीने बाद मार दिए गए बसपा नेता राजू पाल की हत्या के मामले की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सीबीआई जांच का  आदेश दिया था. उल्लेखनीय है कि शहर के आंचलिक इलाके में स्थित सैम हिगिनबाटम युनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर, टेक्नोलाजी एंड साइंसेज (शुएट्स) के कर्मचारियों को पीटने के मामले में अतीक अहमद इस साल फरवरी से ही जेल में बंद है.

विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने अतीक का गैर-कानूनी तरीके से विश्वविद्यालय में प्रवेश पर आपत्ति की थी, जिस पर अतीक अहमद ने अपने समर्थकों के साथ उनकी पिटाई की थी.