अनवर चौहान
सियासत भी अजीब चीज़ है। यहां उसूल कोई माएने नहीं रखते। पल भर में दोस्त बनते हैं और मुद्दत की दोस्ती पल भर में खत्म हो जाती है। बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अगल-बगल नज़र आते थे। लेकिन चंद ही दिन में हालात बदल गए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार को भोज पर बुलाया था। लेकिन वो नहीं गए। पीएम मोदी के भोज में आज वो शरीक होने वाले हैं। प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर आए मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में आज दोपहर के भोज का आयोजन कर रहे हैं। सोनिया गांधी ने शुक्रवार दोपहर विपक्षी दलों के लिए भोज का आयोजन किया था, जिसमें जदयू का प्रतिनिधित्व शरद यादव और के सी त्यागी ने किया। उस बैठक में कुमार की अनुपस्थिति साफ तौर पर दिखाई पड़ी।जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन की अटकलों का बाजार गर्म होता रहा है। हालांकि, कुमार इसका बार—बार खंडन करते रहे हैं। जदयू ने भाजपा के साथ अपना 17 साल पुराना गठबंधन तब तोड़ लिया था जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।


इस तरह की अटकलों को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाला के चार मामलों में मुकदमा चलाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लालू और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार के नए आरोपों के बाद और बल मिला है। कुमार बिहार में जदयू—राजद—कांग्रेस महागठबंधन सरकार के नेता हैं। मुख्यमंत्री ने राजद प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोपों पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि उनकी जांच केंद्र सरकार को करानी है।

दिल्ली की हालिया यात्रा के दौरान कुमार ने कथित तौर पर भाजपा नीत राजग के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकता पर जोर दिया था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इस सिलसिले में मुलाकात की थी। कुमार के करीबी सूत्रों ने अक्सर उनके और भाजपा के संबंधों में बढ़ती नजदीकियों से संबंधित खबरों को खारिज किया है।