नई दिल्ली. एमसीडी चुनावों में सबसे बड़ा झटका आम आदमी पार्टी को लगा है। केजरीवाल के सपने हुए चूर-चूर। बीजेपी लगातार तीसरी बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कांग्रेस की उलटी गिनती लगातार जारी है। सियासी पंडितों की राय...आप के नेता अब आम नहीं रहे, ईगो दिखता है। सीनियर जर्नलिस्ट उर्मिलेश कहते हैं कि बीजेपी मजबूत राजनीति और फॉर्मूले पर काम कर रही है। वहीं, केजरीवाल, दिल्ली सरकार और आप का  असर कम हुआ है। केजरीवाल की नीतियों और तौर-तरीकों को जनता ने नकार दिया है। एमसीडी में करप्शन सामने आने के बाद भी बीजेपी को वोट मिला। इसका मतलब है कि शायद लोगों ने मोदी-शाह की जोड़ी पर यकीन किया। केजरी सरकार ने सिर्फ दो मोर्चों पर अच्छा काम किया, एजुकेशन और हेल्थ। समाज के लिए दोनों ही सेक्टर अहम हैं। फिर भी वोटर उनसे प्रभावित नहीं हुए तो शायद कहीं और समस्याएं हैं। आप नेता अब आम आदमी जैसे नहीं लगते, उनमें ईगो दिखता है। लोगों को उनका व्यक्तिवाद, खुद को पवित्र और दूसरों को बेइमान बताना पसंद नहीं आ रहा है। पार्टी को खुद मंथन करना होगा।


बिना सबूत EVM पर सवाल उठाना सही नहीं है। उर्मिलेश ने आगे बताया कि हार के बाद अब केजरीवाल बार-बार कहेंगे की ईवीएम की वजह से ऐसा हुआ, लेकिन इसकी गहराई से पड़ताल जरूरी है। उन्हें आरोप साबित करना होगा। ऐसे आरोप बिना वैरीफाई और सबूतों के नहीं लगाना चाहिए, इससे लोकतंत्र में जनादेश का अपमान होगा।  ईवीएम का मुद्दा उछालने के बाद भी बीजेपी की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं दिख रहा है। जनता समझती है कि ये आरोप हारे हुए नेताओं का शोर है। यह कहने की कोशिश नहीं कर रहा हूं कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हो सकती। लेकिन पुख्ता सबूतों के बगैर इस पर भरोसा करना गलत होगा। दिल्ली को छोड़कर बाकी राज्यों में लगे रहे  जर्नलिस्ट वीएस तिवारी ने कहा कि एमसीडी के नतीजों से आप के लिए 2019 में असेंबली इलेक्शन की राह मुश्किल होगी। जनता के बीच उनकी इमेज एक झगड़ालू पार्टी की बन गई है। जो काम कम और आरोप ज्यादा लगाती है। ये अन्ना आंदोलन से निकली पार्टी थी। लोगों को उम्मीद थी कि ये पार्टी दूसरों से अलग है, लेकिन केजरीवाल इसे साबित नहीं कर पाए।


आप ने जनता से किए वादों को पूरा नहीं किया। करप्शन के खिलाफ लड़ाई उनका सबसे बड़ा मुद्दा था, लेकिन सरकार और पार्टी से जुड़े कई लोगों पर आरोप लगे हैं। दिल्ली में सरकार बनते ही केजरीवाल दूसरे राज्यों में पार्टी के प्रचार-प्रसार में जुट गए। गोवा, पंजाब और यूपी में ही लगे रहे, दिल्ली के लिए कुछ नहीं किया।MCD इलेक्शन में केजरीवाल ने बीजेपी को दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया के लिए जिम्मेदार बताया, जबकि दिल्ली में सरकार होने के नाते लोगों को बीमारी से बचाने का पहला फर्ज तो आपका है। केजरी सरकार ने जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभाई। जनता के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था। सीनियर जर्नलिस्ट ज्ञानेंद्र बरतारिया ने बताया कि देश में मोदी लहर है। हर कोई पीएम के साथ खड़ा दिखना चाहता है। वोटर ने नहीं देखा कि कैंडिडेट्स कौन था और बीजेपी ने 10 सालों में कैसा काम किया। उसने बीजेपी को मोदी के नाम पर वोट दिया। वोटर्स के पास कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं था।


दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के कामकाज से काफी खफा थी। इसके संकेत कुछ दिन पहले हुए राजौरी गार्डन बाई इलेक्शन में ही मिल गए थे। केजरीवाल ने खुद इसे माना था। आप से नाराजगी की वजह से उसका कुछ वोट कांग्रेस और कुछ बीजेपी में चला गया। कांग्रेस की लीडरशिप से भरोसा खत्म हुआ सीनियर जर्नलिस्ट गौतम लहरी कहते हैं कि लोगों को कांग्रेस की लीडरशिप पर भरोसा नहीं रहा। सिर्फ गांधी नाम के भरोसे कांग्रेस ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती है। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस को लेकर जो परसेप्शन लोगों के मन में बना, वो अभी कायम है। दूसरी ओर, बीजेपी के पास कलेक्टिव लीडरशिप है। मोदी के साथ-साथ दूसरे तमाम नेता भी काम करते है, लेकिन कांग्रेस सिर्फ एक परिवार तक सिमट कर रह गई। एमसीडी चुनावसे पहले कांग्रेस में हुई गुटबाजी, भाई-भतीजावाद और कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से उसे नुकसान हुआ।